गुरुवार, 26 सितंबर 2013

जिम्मेदार व्यक्ति का ही व्यक्तित्व निखरता

जिम्मेदारियों के निभाने पर ही मनुष्य का शौर्य निखरता 




हर व्यक्ति शरीर-रक्षा , परिवार-व्यवस्था , समाज-निष्ठा, अनुशासन का परिपालन आदि कर्त्तव्यों से बंधा हुवा है। जिम्मेदारियों के निभाने पर ही मनुष्य का शौर्य निखरता है। इसी आधार पर विश्वास बनता है, और विश्वसनीयता के आधार पर एक धारणा बनने लगती है। जिसके अनुसार उन्हें अधिक जिम्मेदारियां सौंपी जाती हैं। उन्हें ही प्रगति के उच्च-शिखर पर पहुंचने का सुअवसर प्राप्त होता है। जिम्मेदार व्यक्ति का ही व्यक्तित्व निखरता है।





देश-द्रोही कृष्णराव अलाउद्दीन के लिए जासूसी कर रहा है, जब इस बात का पता उसकी पत्नी वीरमती को चला, तो उसने अपने पति की हत्या कर दी। मरते हुवे पति ने कहा,' यह क्या किया वीरमती तुमने ? भारतीय स्त्रियाँ ऐसा तो कभी नहीं करती। ' ' हाँ तुम ठीक कहते हो , पर भरतीय पुरुष भी तो कभी देश-द्रोह नहीं करते। इस समय राष्ट्र की रक्षा ही मेरा धर्म है। रही पति-व्रत की बात सो यह अब लो। ' यह कह उसने खुद को भी कटार भोंक ली और पति के साथ सती हो गयी।



हर समझदार व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह जिस प्रकार अपने शरीर और अर्थ-व्यवस्था का ध्यान रखता है, उसी प्रकार उसे अपने प्रमुख उपकरण शरीर और मस्तिष्क को भी स्वस्थ एवं संतुलित बनाए रखना चाहिए। शरीर भगवान की सौंपी हुयी अमानत है। उसे यदि असंयमित और अव्यवस्थित न किया जाए तो वह पूर्ण आयु तक निरोगी रह सकता है। जिस प्रकार चोर को घर में घुसने नहीं दिया जाता उसी प्रकार हमारी जिम्मेदारी है कि हमारे मस्तिष्क में भी अनुपयुक्त विचारों का प्रवेश भी  हो पाए। गैर जिम्मेदारी का आभास यहीं से मिलता है कि व्यक्ति अपने शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य का असावधानी के कारण ध्यान नहीं रखता

हमें ईश्वर ने विवेकशील मस्तिष्क और विशाल हृदय दिया है। हमें अपनी जिम्मेदारी निभाना सीखना चाहिए। अपने देश, धर्म, समाज एवं संस्कृति से सम्बन्धित अपने सम्पर्क क्षेत्र को भौतिक दृष्टि से समुन्नत और भावना की दृष्टि से सुसंस्कृत बनाने का प्रयत्न करना चाहिए। हम ही अपने राष्ट्र एवं स्वयं निज के वर्तमान भी हैं और भविष्य भी हैं। हमारा परिवारसमाज एवं राष्ट्र यशस्वी बने यह हम सभी की जिम्मेदारी है।<<<<<>>>>>>>>>>>




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