सहनशीलता
एक युवती नव-वधू बनकर ससुराल में आई। सास उसको ऐसी मिली ; जो मानो दुर्वासा का अवतार हो। वह दिन में दो-तीन बार जब तक बहू से लड़ न लेती , उसे भोजन हजम नहीं होता। सास बहू को
बात-बात पर ताने देने लगी , तुम्हारे बाप ने तुम्हें क्या सिखाया है ? तुम्हारी माँ ने क्या यही शिक्षा दी है ? तेरी जैसी मूर्ख तो मैंने मैंने कभी देखी नहीं। बहू यह सब कुछ सुनती और सुनकर मोन रहती।
सास चिल्लाकर कहती _ अरी ! तेरे मुख में जीभ नहीं है ? बहू फिर भी शांत बनी रहती।
एक दिन जब वह इसी प्रकार बहू पर बरस रही थी तभी एक पड़ोसन ने कहा _बुढ़िया ! लड़ने की बहुत इच्छा , तो आकर हमसे लड़। इस गाय के पीछे क्यों पड़ी रहती है ? बहू ने तुरंत उठकर कहा _
' नहीं , इन्हें कुछ भी मत कहिये। ये मेरी माँ हैं माँ। माँ ही बेटी को नहीं समझायेंगी तो फिर कौन समझाएगा ?
सास ने यह बात सुनी तो लज्जित हो गयी फिर कभी उसने क्रोध नहीं किया। बहू की सहनशक्ति ने सास का स्वभाव बदल दिया। *****
एक युवती नव-वधू बनकर ससुराल में आई। सास उसको ऐसी मिली ; जो मानो दुर्वासा का अवतार हो। वह दिन में दो-तीन बार जब तक बहू से लड़ न लेती , उसे भोजन हजम नहीं होता। सास बहू को
बात-बात पर ताने देने लगी , तुम्हारे बाप ने तुम्हें क्या सिखाया है ? तुम्हारी माँ ने क्या यही शिक्षा दी है ? तेरी जैसी मूर्ख तो मैंने मैंने कभी देखी नहीं। बहू यह सब कुछ सुनती और सुनकर मोन रहती।
सास चिल्लाकर कहती _ अरी ! तेरे मुख में जीभ नहीं है ? बहू फिर भी शांत बनी रहती।
एक दिन जब वह इसी प्रकार बहू पर बरस रही थी तभी एक पड़ोसन ने कहा _बुढ़िया ! लड़ने की बहुत इच्छा , तो आकर हमसे लड़। इस गाय के पीछे क्यों पड़ी रहती है ? बहू ने तुरंत उठकर कहा _
' नहीं , इन्हें कुछ भी मत कहिये। ये मेरी माँ हैं माँ। माँ ही बेटी को नहीं समझायेंगी तो फिर कौन समझाएगा ?
सास ने यह बात सुनी तो लज्जित हो गयी फिर कभी उसने क्रोध नहीं किया। बहू की सहनशक्ति ने सास का स्वभाव बदल दिया। *****