रविवार, 22 सितंबर 2013

स्मरण- शक्ति एवं बुद्धि बढ़ाने वाली कुछ जड़ी-बूटियाँ भी

गहरा मनन करना बुद्धि बढ़ानेके लिए बहुत ही उत्तम अभ्यास 




स्मरण-शक्ति बढ़ाने में एकाग्रता का बड़ा महत्त्व है। एकाग्रता से कार्य-शक्ति को बड़ी उत्तेजना मिलती है। कमजोर मस्तिष्क को भी एकाग्रता की प्रेरणा अद्भुत प्रतिभा-सम्पन्न बना देती है। पतंजलि ने योग-साधना का सारा रहस्य एकाग्रता को ही बताया है। वे चितवृत्तियों के निरोध को ही योग कहते हैं। वैसे भी सब प्रकार की उन्नतियों का मूल-मन्त्र एकाग्रता ही है। बुद्धि बढ़ाने का प्रमुख साधन एकाग्रता है और मन को एकाग्र करने का उत्तम मार्ग उस कार्य में रूचि उत्पन्न करना है। किसी काम में रूचि तब उत्पन्न होती है , जब उसमें स्वार्थ-साधन और मनोरंजन की विशेषताएँ हों। ये दोनों ही बातें उस विषय में उत्पन्न करनी चाहिए, जिसमें रूचि बढ़ाने की इच्छा है। काम करने के ढंग को मनोरंजक बनाना यह एक व्यावहारिकता है। किसी काम को करते समय या किसी विषय को सोचते हुवे उदासीनता और चिंता के भाव को न उठने दीजिए। उसे एक मनोरंजन ही समझिए। मन को प्रसन्न रखिए और मुंह पर थोड़ी-थोड़ी मुस्कराहट बनाए रहिए। मुस्कुराते रहना बड़ा अच्छा गुण है , इनसे मस्तिष्क के सूक्ष्म कोष जाग्रत और प्रफुल्लित रहते हैं ओए पूर्व-संचित ज्ञान को समय पर प्रकट करने को तैयार रहते हैं।

दोहराना सबसे पुराना और उचित उपाय है। बात को स्मरण लरने के लिए बार-बार दोहराना अत्यंत आवश्यक है। एकाग्रता - पूर्वक किसी एक विषय पर लगातार कुछ समय तक गहरा मनन करना बुद्धि बढ़ानेके लिए बहुत ही उत्तम अभ्यास है। इससे सारा बल एक बिंदु पर एकत्रित होता है। भोजन के उपरांत हाथ-मुंह धो कर कंघी से सिर के बाल काढ़ने चाहिएं , जिससे कांटे सिर में चुभें। रक्त-संचार सशक्त होने से मस्तिष्क निरोग होता है और स्मरण-शक्ति बढ़ती है। कानों के ऊपर वाले सिरे से लेकर आगे की ओर कनपटी की सीध तक के मस्तिष्कीय परमाणु बुद्धि-धारण करने के काम में अधिक आते हैं। यहाँ के स्नायुओं को परिपुष्ट करने के लिए हल्की मालिश करना बहुत अच्छा है। स्नान करते समय सिर के ऊपर ठंडे जल की धार छोड़ने से भी बड़ा लाभ होता है। सबसे पहले दस-पन्द्रह मिनट तक सिर के ऊपर ही पानी लिया जाए। इससे स्मरण-शक्ति का विकास होता है।

स्मरणशक्ति एवं बुद्धि बढ़ाने वाली कुछ जड़ी-बूटियाँ भी होती हैं। जिसमे प्रमुख रूप से -- ब्राह्मी, शंखपुष्पी, बच, शतावरी,ज्योतिष्मती, अश्वगंध,आंवला, शहद आदि हैं। खाद्य-पदार्थों में अनार, बथुवा, जौ , लहसुन, सेंधा नमक, गाय का दूध और घी, मालकांगनी, बेंगन आदि बुद्धि-वर्धक हैं।




योग चिंतामणि ' के अनुसार--- गिलोय, ओंगा, वायविडंग, शंखपुष्पी, ब्राह्मी, बच, सोंठ और शतावर इन सबको बराबर लेकर कूट-छानकर चूर्ण बनावें और प्रात:काल चार माशे मिश्री के साथ चाटें , तो तीन हजार श्लोक कंठस्थ करने की शक्ति प्राप्त हो जाती है। निघंटु के अनुसार--- बच का एक माशा चूर्ण जल, दूध या घृत के साथ एक मास सेवन करने से मनुष्य पंडित और बुद्धिमान बन जाता है। चरक के अनुसार शंखपुष्पि विशेष रूप से बुद्धि-वर्धक है। साथ ही ' गायत्री मन्त्र ' का जप करने से भी बुद्धि में निखार आता है।&&&&&&&

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