बुधवार, 25 सितंबर 2013

बेईमानी की कमाई

जिस कमाई में समुचित श्रम नहीं लगा है, उसे बेईमानी की कमाई कहा जाता है


जिन लोगों को विलासिता, फैशन -परस्ती तथा ठाठ-बाट बनाने में अनावश्यक राशि व्यय करनी पडती है, वे ईमानदार नहीं रह सकते फिजूलखर्ची की पूर्ति ऊपरी आमदनी या बेईमानी से कमाई आमदनी से ही होती है।ऐसे लोग कर्ज लेने से लेकर ठगी- जालसाजी सब कुछ कर सकते हैं। फिर कर्ज चुकाने का अवसर आने पर मुकरजाते हैं।जिस कमाई में समुचित श्रम नहीं लगा है, उसे बईमानी की कमाई कहा जाता है--- जैसे जुआ , सट्टा, चोरी और लाटरी लगाना आदि। ऐसी कमाई जिस किसी के पास जाएगी , उसे दुर्व्यसनों में लिप्त हीकरेगी 

अपनी छोटी बहन के साथ एक लड़का घूमने 
निकला। मार्ग में नटखट बहन ने एक अमरूद वाले को धक्का दे दिया , सारे अमरूद कीचड़ में गिरकर बेकार हो गये। लड़का अमरूद वाले को लेकर घर आया और माँ से अमरूद वालेको पैसे देने कि लिए कहा। माँ बहुत झल्लाई और पैसे नहीं दिए। तो उस लडके ने नाश्ते के पैसे देकर दंड की भरपाई की। स्वयं उसने डेढ़ महीने तक नाश्ता नहीं किया वही बालक आगे चलकर नेपोलियन बोनापार्ट बना। श्री चमनलाल सीतलवाड़ मुम्बई की किसी फर्म में काम करते थे। एक मामले में बचने के लिए एक आदमी उनके पास आया और एक लाख की रिश्वत देने लगा , पर श्री सीतलवाड़ ने उसे अस्वीकार कर दिया। उस व्यक्ति ने कहा , ' इतनी बड़ी रकम कोई देगा नहीं' श्री सीतलवाड़ हंसे और बोले, देने वाले तो बहुत होंगे , पर इंकार करने वाला मुझ जैसा ही मिलेगा। ' वही सीतलवाड़ एक दिन बम्बई विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त हुवे।%%%%%%%%%%%%%%%%%




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें