मंगलवार, 24 सितंबर 2013

आत्मविकास सफलता का मुख्य रहस्य

हमारे कार्य की नींव हमारे आत्मविश्वास पर ही आधारित है 


संसार के अग्रणी लोग आत्मविश्वास से परिपूर्ण होते हैं। वे अपनी आत्मा में , अपनी शक्तियों में आस्थावान रहकर कोई भी कार्य कर सकने का साहस रखते हैं। वे अपने लिए चयनित कार्य को पूरी लगन और निष्ठा के साथ करते हैं। वे मार्ग में आने वाली किसी भी बाधा अथवा अवरोध से विचलित नहीं होते। आशा,साहस और उद्योग उनके स्थायी साथी होते हैं। किसी भी परिस्थिति में वे उसका साथ निभाते हैं। आत्मविश्वासी सराहनीय कर्मवीर होता है। नित्य नये उत्साह से अपने कर्त्तव्य पथ पर अग्रसर होता है। अंत में विजयी होकर श्रेय प्राप्त कर ही लेता है।

आत्मा अनंत शक्ति का भंडार होती है। हो भो क्यों न, आत्मा परमात्मा का अंश जो होती है। आत्मा में विश्वास करना परमात्मा में विश्वास करना है। जिसने आत्मा के माध्यम से परमात्मा में विश्वास कर लिया , वह सदा प्रगति-पथ की ओर बढ़ता जाता है। जीवन के सभी क्षेत्रों में आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है। जीवन में अनेक कठिनाइयाँ , उलझनें तथा अप्रिय परिस्थितियां आती रहती हैं। इन में अडिग रहने के लिए आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है। जितना हम अपनी ओर कार्य -क्षमता ओर योग्यता पर विश्वास करेंगे , उतना ही हमारा जीवन सफल होगा। ओर जितना हम अपनी योग्यता पर अविश्वास करेंगे , उतने ही हम विजय ओर सफलता से दूर रहेंगे। हमारे कार्य की नींव हमारे आत्मविश्वास पर ही आधारित है।

आत्मविकास में वह ताकत है , जो अनेकों विपत्तियों पर पूरी विजय प्राप्त कर सकती है। प्राय: देखा गया है कि साधनहीन होने पर भी आत्मविश्वासी मनुष्यों ने संसार में अद्भुत काम किए हैं। जबकि बहुत से साधन-संपन्न व्यक्ति विश्वास-हीनता के कारण पूर्ण रूप से असफल हुवे हैं। निस्संदेह प्रत्येक स्थिति में मनुष्य का एकमात्र साथी उसका अपना आत्मविश्वास है। स्वामी विवेकानंद के शब्दों में--- ' आत्मविश्वास जैसा दूसरा मित्र नहीं , आत्मविश्वास के कारण दुर्गम पथ भी सुगम बन जाते हैं। ' एमर्सन के शब्दों में -- ' आत्मविकास सफलता का मुख्य रहस्य है।' आत्मविश्वास मनुष्य के क्रिया -कलाप उसके जीवन-व्यवहार आदि में कुशलता लाता है। उसको प्राणवान बना कर अन्य के लिए विश्वासी बना देता है।

आत्मविश्वास मनुष्य की शक्तियों को संगठित करके उन्हें एक दिशा प्रदान करता है। शारीरिक ओर मानसिक शक्तियां आत्मविश्वासी के अनुसार कार्य करती हैं। इंग्लैण्ड का वेल्स सामान्य शरीर का था , पर उसमें आत्मविश्वास अद्भुत था। सैनिक से सेनापति बना , अनेक युद्ध जीते अपने आत्मविश्वास के बल पर। युद्ध करते हुवे उसका दाहिना हाथ चला गया पर उसने हिम्मत नहीं छोड़ी। दूसरे युद्ध में उसकी एक आँख चली गयी। सरकार ने उसे अपाहिजों की पेंसन देनी चाही , पर उसने स्वीकार नहीं की। आगे युद्ध में वेल्स और अधिक उत्साह से लड़ा। विभिन्न परिस्थितियों में इतनी सफलता प्राप्त करने वालों में वेल्स का नाम इतिहास में अनुपम है। कायर एक बार जीता है और बार-बार मरता है , पर आत्मविश्वासी एक बार जन्म लेता है और एक बार ही मृत्यु को प्राप्त करता है।******




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