बुधवार, 9 अक्तूबर 2013

शिव

शिव अणिमा आदि अष्ट सिद्धियों के अधिष्ठाता भी 




शिव तीन आदि शक्ति का स्वरूप है ,प्रथम शक्ति ब्रह्मा उत्पत्तिकर्त्ता है। दूसरी विष्णु-रूप पालन -कर्त्ता तथा तीसरी शिव -संहार कर्त्ता हैं ।




 अंग्रेजी में भी god इसी रूप में है । जी जेनेरेट के लिए ,ओ operate के लिए तथा डी destroy के लिए प्रयुक्त होता है1शम की भावना के कारण ही शिव है ।दुष्टों को रुलाने के लिए शिव रूद्र हैं ,जहाँ कल्याण एवं सुख के लिए शंकर हैं , वहाँ शम्भू भी हैं ।

 शिव अणिमा आदि अष्ट सिद्धियों के अधिष्ठाता भी हैं , शिव वही हो सकता है जो कल्याण की भावना से निर्भय-निर्वैर हो सकता है , इसप्रकार का व्यक्ति सर्प को भी गले में लपेट सकता है। शिव ही हलाहल विष को पी सकता है और वही मृत्यंजय हो सकता है। चन्द्र उसके मस्तक पर होने के कारण वह क्रोध रहित है ,शिर पर गंगा उसको शांत- स्थित-प्रज्ञ रखती है । जबकि हम काम- वासना आदि विकारों से ग्रस्त पशु -वत जीवन व्यतीत करते हैं ; जबकि वह जितेन्द्रिय होकर उन पशुओं का अधिपति है ।




 कामदेव को वह भस्म कर उसे वह नष्ट कर देता है ; इस प्रकार की शक्ति उसके भक्त में भी आनी चाहिए। दिशा ही उसका अम्बर है , वही सच्चा शिव उपास्य है ?*****************************



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