मंगलवार, 1 अक्तूबर 2013

स्मरण-शक्ति को विकसित करने में भ्रामरी

कोलीन नामक रसायन से स्मरण शक्ति का विकास 



स्मरण-शक्ति अर्थात स्मृति क्या है ?  इसकी  प्रक्रिया क्या है ? इसका स्रोत कहाँ है ? शरीर का वह कौन सा भाग है जहाँ से स्मृति का जागरण और बहाव होता है ? स्मृति एक मानसिक प्रक्रिया है। हम जो देखते हैं, सुनते और अनुभव करते हैं, वे सब हमारे मस्तिष्क में संग्रहीत रहते हैं। मस्तिस्क अनेक स्मृति- प्रकोष्ठ हैं, उनमें अनेक संस्कार संचित रहते हैं। वे संचित-भाव धारणा बने हुए हैं। वे धारणाएं निमित्त और उद्दीपन पा कर समय- समय पर जागृत होती रहती हैं।


परिणामत: यही स्मृति बन जाती है। स्मृति का क्रम या प्रक्रिया यह है कि हम जो भी देखते - सुनते या अनुभव करते हैं , पहले उसका निश्चय होता है। निश्चय के बाद वह धारणा में चली जाती है। स्मृति- चिह्न बन जाती है और वे स्मृति - चिह्न ही उभर कर स्मृति के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। 



वस्तुत: हमारी स्मृति की मंदता और तीव्रता मस्तिष्क की कोशिकाओं की प्र्शुप्ती और जाग्रति पर निर्भर है। मस्तिष्क की कोशिकाएं जितनी स्फूर्त और जीवंत रहती हैं, स्मरण - शक्ति उतनी प्रखर होती है। कोलीन नामक रसायन से स्मरण शक्ति का विकास होता है। कोलीन की आपूर्ति विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों से हो सकती है। वृद्ध व्यक्तियों को कोलीन की डोज उचित मात्रा में मिलती रहे तो उनकी स्मृति के ह्रास को रोका जा सकता है।



 स्मृति के ह्रास का प्रमुख कारण मानसिक चंचलता और तनाव है। श्वास - प्रेक्षा और दीर्घ श्वास - प्रेक्षा के प्रयोग से चंचलता और तनाव - जनित स्मृति - भ्रंश को रोका जा सकता है। मस्तिष्क के मध्य भाग में और दोनों कनपटियोके ऊपर पीले रंग का ध्यान करने से भी स्मरण- शक्ति बड़ सकती है। खोयी हुयी स्मृति लौट भी सकती है। 


भ्रामरी प्राणायाम भी स्मरण -शक्ति को विकसित करने का उत्तम उपाय है। आचार्य श्री महाप्रज्ञ अनुभूति की भाषा में , कुछ देर प्रात: कालीन सूर्य के आतप- सेवन से मानसिक चंचलता समाप्त होती है। परिणामत: स्मरण-शक्ति का विकास होता है। यदि हम मस्तिष्क की अद्भुत स्मरण क्षमता को पहचानें ; उसे जगाएं और जागृत क्षमता का सम्यक उपयोग करें।


 प्रेक्षा - ध्यान और योग के विभिन्न प्रयोगों द्वारा बालक अपनी स्मरण शक्ति को प्रखर बना सकते हैं। युवक सुषुप्त स्मृति को जगा सकते हैं और जागृत स्मृति को सुरक्षित रख सकते हैं। उसी प्रकार वृद्ध भी अभ्यास के द्वारा खोयी हुयी स्मृति को पुन: लौटा सकते हैं।"अनुभूत विषय: स्मप्रमोष: स्मृति:" द्वारा योग में अनुभूत विषय को पुन: प्रस्तुत करना ही स्मृति है। इस योग द्वारा स्मरण-शक्ति को विकसित किया जा सकता है।***********



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