रविवार, 27 अक्तूबर 2013

प्रभात-फेरी

सूर्य की उपासना से सम्बन्धित 




प्रभात-फेरी प्रात: का जागरण है। प्रात: का जागरण सूर्य की उपासना से सम्बन्धित है। सूर्य तेजस्विता का , अग्नि-प्रज्वलन-शीलता एवं पवित्रता का प्रतीक है। प्रात:काल का समय सूर्य की सवारी के आगमन का समय है। यह शक्ति और ज्योति की आराधना ही हमारी सफलता और प्रगतिशीलता का आधार है।


सूर्योदय से पहले आवश्यक नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर , भगवान भास्कर की अगवानी के लिए तैयार होजाते हैं। घर का कोना-कोना सूर्य-प्रकाश से चमक उठता है। प्रात: का जागरण सभी प्रकार की समृद्धि का द्वार खोल देता है। यह भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।


"रात जल्दी जो सोय , जल्दी उठे वीर । विद्या बल लक्ष्मी बढ़े , स्वस्थ रहे शरीर। । " यहाँ प्रात: अर्थात ब्रह्म-मुहूर्त्त में उठने को विद्या- विकास , शक्ति, समृद्धि और स्वास्थ्य का कारण माना गया है। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सोने वाले व्यक्ति को लक्ष्मी छोढ़ देती है। चाहे वह स्वयं विष्णु ही क्यों न हो। यदि आप अपने जीवन में मुस्कराहट और रोशनी लाना चाहते हैं, तो सूरज निकलने से पहले उठ जाएँ। दिन के निकलने के बाद तक सोना आयु को क्षीण करता है। कहा गया है-- EARLY TO bed AND EARLY TO RISE , THAT IS WAY TO BE HEALTHY AND WISE. 



हमारे शरीर में दो ध्रुव - केंद्र हैं -- एक मस्तिष्क स्थित ब्रह्म-रंध्र और दूसरा जनन - केंद्र आध्यात्मिकता की दृष्टि से इन्हें ज्ञान एवं शक्ति केंद्र के रूप में जाना जाता है। दोनों से निरंतर क्रमश: चेतनात्मक- विकिरण एवं शक्ति ऊर्जा का विकिरण होता रहता है। ये परमाणु साधक की ज्ञानमयी चेतना के जागरण का निमित्त बनते हैं। अत: इस दृष्टि से प्रभात-फेरी का मूल्यांकन करना चाहिए। इसके माध्यम से शरीर की स्वस्थता , चित्त की निर्मलता ,बौद्धिक जाग्रति , आध्यात्मिक-चेतना आदि का जागरण सम्भव हो सकता है।&&&&&&&&&&&&&&&&&&&&


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें