मंगलवार, 8 अक्तूबर 2013

मन को निर्मल करना सबसे कठिन काम

यही सच्ची बुहारी है ,तथा इसी से मन बिना किसी जल और साबुन से निर्मल होता जाता 




बुहारी से तात्पर्य झाढू लगाना होता है। बुहारने से अर्थ है कि सफाई करना ,सफाई करना अर्थात मल रहित करना । निर्मल एवं शुद्ध करके पवित्र करना ,योग में शौच से ही यही अभिप्रेत है। शौच से अभिप्रेत निर्मल करना है। सर्वप्रथम निवास-स्थान को बुहारना चाहिए ;इसके बाद शरीर को अनन्तर मन को निर्मल करने का प्रयास करना चाहिए। निवास स्थान को बुहारने से शरीर में जहाँ स्फूर्ति रहती है ;वहां अच्छा -खासा व्यायाम भी हो जाता है। बहुत ही लाभ रहता है, एक पन्थ दो काज सिद्ध हो जाते हैं। शरीर को निर्मल स्नान आदि से किया जाता है। 


अब मन को निर्मल करना सबसे कठिन काम है ,यह जल्दी से निर्मल हो ही नहीं हो पाता। इसको निर्मल करने के लिए ध्यान की आवश्यकता है । प्रश्न यह है कि ध्यान कहाँ और किस प्रकार लगाया जाये । ध्यान लगाने कि सर्वोत्तम और सरळ विधि कौन सी हो सकती है।




 इसकी सरलतम विधि सांसो पर ध्यान लगाने की है। जब सांसो पर ध्यान लगाया जाता है तब साँस प्राण -मय बन जाते हैं । सांसो पर सतत ध्यान प्राणों को उज्जवल एवं ऊर्ध्व गति प्रदान करता है। मन निर्मल होना प्रारम्भ हो जाता है। मन के अनेक विकार दूर होने लगते हैं। मन शांत होता जाता है। और यही सच्ची बुहारी है ,तथा इसी से मन बिना किसी जल और साबुन से निर्मल होता जाता है।*************************



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