रविवार, 11 अगस्त 2013

एक दूसरे पर दोषारोपण

सुख बांटने वाली एवं दुःख बंटाने जीवन की एक ही विभूति है , वह है संवेदना।  अब सब और से यही 
निष्प्राण होती जा रही है ; इसके अभाव मनुष्य स्वार्थ केन्द्रित एवं अहं केन्द्रित होता जा रहा है। 

दुनिया में  समस्याओं की  चर्चा  होती  है , एक दूसरे  पर दोषारोपण किये जाते हैं ; वस्तुत:जिस दिन मानव
के अंदर मानवीय संवेदना जग जाएगी तो उसी दिन मानव-जीवन का स्वर्ण-युग आ जायेगा। 

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