सोमवार, 12 अगस्त 2013

व्यवहार -कुशल

व्यवहार -कुशल 


इस दुनिया में सुखी , संतुष्ट जीवन जीने के लिए व्यवहार-कुशल होना आवश्यक है। कहा भी गया है ' आहारे व्यवहारे च त्यक्त लज्जा सुखी भवेत ' अर्थात आहार एवं व्यवहार में अधिक संकोच नहीं करना चाहिए ; नहीं तो यह विपत्ति का कारण बन जाता है।  हमारा व्यवहार ही हमारे व्यक्तित्व का परिचय दूसरों से कराता है और उनसे हमारा सम्बन्ध स्थापित होता है।  

इस विषय में यह बात भी ध्यान रखने योग्य है कि हम दूसरों के प्रति जो भी बुरा सोचते हैं ; घृणा व द्वेष करते हैं ; क्रोधित होते हैं __ वह सब अपने मन में करते रहते हैं।  ये सब कलुषित भावनाएं मन में होने के कारण हमें ही अधिक हानि पहुँचाती हैं। 


यदि व्यक्ति किसी को अपना अच्छा मित्र नहीं बना सकता ; अच्छे सम्बन्ध नहीं जोड़ सकता तो उसे अपने शत्रु भी नहीं बनाने चाहियें। अपने अंदर की नकारात्मकता को दूर करते हुवे सकारात्मकता को विकसित करना चाहिए।  

जीवन में सकारात्मक भाव , अच्छे विचार एवं प्रसन्न मन:स्थिति ही वे अनमोल उपहार हैं , जिससे व्यक्ति का परिष्कार हो जाता है।  जीवन में आगे बढ़ने के लिए व्यवहार - कुशल होना नितांत आवश्यक है।  *****

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