प्रेमनिवास _ अर्पित जैन
प्रिय अर्पित ,
प्रिय अर्पित ,
मैंने प्रेम - निवास के विषय में पढ़ा। पढ़कर मन करुणा से भर गया। हमारे समाज में आजकल स्थिति बहुत ही भयावह हो गयी है। मुझे जानकर ख़ुशी हुयी की तुमने अपना जन्म- दिवस ऐसे लोगों के मध्य मनाया। तुमने जो लिखा है कि यह दान नहीं , अपितु एक ' इन्वेस्टमेंट' है , यह वास्तव में बड़ी बात है। तुम जैसे मित्र पर मुझे निश्चय ही गर्व अनुभव होता है। भाव और भावना ही मनुष्य को मानव से महा मानव बना देते हैं। साथ ही आशीष शर्मा को भी बधाई , जिन्होंने अच्छे कार्य में तुम्हारा सहयोग दिया। मैं इस कार्य के लिए अपनी ओर से शुभ कामनाएं देता हूँ।
मुझे भी इस संस्था का पता तथा फोन नम्बर देना ताकि मैं भी वहाँ सम्पक स्थापित कर सकूं। जन्म-दिवस की बहुत-बहुत पुन: शुभ कामनाएं।
मैं आजकल ब्लोग़ लिख रहा हूँ , इन्हें फ़ेसबुक भी प्रेषित कर रहा हूँ। अपनी टिप्पणी भी अवश्य देते रहना। जीवन में सदा प्रगति करते रहो। तुम्हारे जैसे मित्र को पाकर मैं धन्य हो गया।
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