मंगलवार, 13 अगस्त 2013

क्रोध से बचिए

क्रोध से बचिए 

क्रोध आते ही हमारी दशा माचिस की तीली जैसी हो जाती है ; जो औरों को जलाने से पहले स्वयं जलती है।  क्रोध आत्म-संयम तथा विवेक सबसे पहले क्षति पहुँचाता है।  इससे हमारा संचित ज्ञान नष्ट हो जाता है।  चिडचिड़ापन , हाइपरटेंसन और डाईबिटीज रोग क्रोधी व्यक्ति पर सहज ही हावी हो जाते हैं। 

पर क्रोध से मुक्ति पाने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है अपने भीतर सहनशीलता को विकसित करना।  क्रोध को सहनशीलता से ही स्थायी तौर पर जीता जा  सकता है।  

क्रोध आने पर ध्यान को एकदम हटा लेना तथा एक- दो गिलास पानी पी लेना अत्यधिक उपयोगी उपाय सिद्ध हो सकता है। 

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