असत्य को सत्य से विजय
क्रोध को प्रेम से , बुराई को भलाई से , लोभ को उदारता से और असत्य को सत्य से विजय करो।
वहाँ न सूर्य प्रकाशित होता है और न चाँद - तारे। वहाँ ये बिजलियाँ भी नहीं प्रकाशित होती हैं ; फिर
लौकिक अग्नि कैसे प्रकाशित हो सकती है। उस परमात्मा के प्रकाश से ही यह यह सम्पूर्ण विश्व प्रकाशित है। __ कठोपनिषद ******
क्रोध को प्रेम से , बुराई को भलाई से , लोभ को उदारता से और असत्य को सत्य से विजय करो।
वहाँ न सूर्य प्रकाशित होता है और न चाँद - तारे। वहाँ ये बिजलियाँ भी नहीं प्रकाशित होती हैं ; फिर
लौकिक अग्नि कैसे प्रकाशित हो सकती है। उस परमात्मा के प्रकाश से ही यह यह सम्पूर्ण विश्व प्रकाशित है। __ कठोपनिषद ******
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