सोमवार, 19 अगस्त 2013

असत्य को सत्य से विजय

असत्य को सत्य से विजय 
                                                      


   



क्रोध को प्रेम से , बुराई को भलाई से  , लोभ को उदारता से और असत्य को सत्य से विजय करो।  


वहाँ न सूर्य प्रकाशित होता है और न चाँद - तारे।  वहाँ ये बिजलियाँ भी नहीं प्रकाशित होती हैं ; फिर 
लौकिक अग्नि कैसे प्रकाशित हो सकती है।  उस परमात्मा के प्रकाश से ही यह यह सम्पूर्ण विश्व  प्रकाशित है।  __ कठोपनिषद ******          

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