राष्ट्र - निर्माण राजनीति का सर्वप्रथम धर्म होना चाहिए ; पर आज की परिस्थितियों में किसी एक का व्यक्तित्व एवं अस्तित्व बचाने के लिए देश को जाति , धर्म ,वर्ग आदि के समीकरणों में उलझाया तथा भटकाया जा रहा है।
अपने हित साधने के लिए सभी स्थितियों को उपेक्षित कर दिया गया है ; किसी को भी राष्ट्र के निर्माण की चिंता नहीं।
अपने हित साधने के लिए सभी स्थितियों को उपेक्षित कर दिया गया है ; किसी को भी राष्ट्र के निर्माण की चिंता नहीं।
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