संवेदना ही लोक-कल्याण एवं आत्म-कल्याण का आधार है और इसीसे सेवा -भाव प्रस्फुटित होता है।
अहं है -- प्रकृति और आत्मा का सम्बन्ध-सूत्र और दोनों के बीच का सम्बन्ध। इसे इस प्रकार भी कहा जा सकता है कि अहं वह झरोखा है ; जिससे आत्मा प्रकृति के सौन्दर्य को निहारती है ; जबकि का अर्थ है कि स्वयं को ही झरोखा मान लेना। यही वह विकार है , जो व्यक्तित्त्व को ही नष्ट कर देता है।
अहं है -- प्रकृति और आत्मा का सम्बन्ध-सूत्र और दोनों के बीच का सम्बन्ध। इसे इस प्रकार भी कहा जा सकता है कि अहं वह झरोखा है ; जिससे आत्मा प्रकृति के सौन्दर्य को निहारती है ; जबकि का अर्थ है कि स्वयं को ही झरोखा मान लेना। यही वह विकार है , जो व्यक्तित्त्व को ही नष्ट कर देता है।
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