रविवार, 11 अगस्त 2013

एक और ऐसी ही सत्य  कहानी आई -ए -एस कोमल प्रवीण भाई गणरात्रा की भी है।  उनका जीवन तो इससे भी अधिक दुःखद और भयावह था है।  कोमल का विवाह एक सामान्य परिवार में हुवा था; परन्तु दहेज लोलुप इस परिवार ने विवाह के कुछ दिन बाद ही कोमल के जीवन को यातनाओं एवं अत्याचार के कठोर कष्टों से भर दिया।कोमल की जिन्दगी नारकीय हो गयी।  इस दुनिया में उसने दहेज पीड़िता के रूप में पांच वर्ष गुजारे।  

कोमल ने निश्चय किया कि वह इस भयावह एवं भीषण परिस्थितियों के बीच कुछ ऐसा सृजनात्मक कार्य करेगी कि उसका जीवन सार्थक हो जाये ओरों के लिए वह प्रेरणा का स्रोत बने कोमल ने निश्चय किया कि वह आई-ए-एस की तयारी करेगी। 

उसने अपनी समस्त प्रतिभा एवं ऊर्जा को इसमें लगाया।  सोते -जागते उठते-बैठते उसने एक ही ध्येय बना लिया कि किसी भी कीमत पर वह इस लक्ष्य को प्राप्त करेगी। कोमल ने अपने साहस को नहीं छोड़ा ; वह अपने आत्म विश्वास को बनाये रखी।    

परिणाम स्वरूप उसने आई-ए-एस जैसे उच्च पद को उपलब्ध कर लिया।  निंदा एवं कटाक्ष करने वाले ही सबसे पहले उसको बधाई देने आये।  

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