रविवार, 11 अगस्त 2013

शिवकुमार को लगा कि इस अर्थाभाव की घोर समस्या से कैसे छुटकारा मिले।  शिवकुमार ने अख़बार वालों से सम्पर्क साधा ; जो घर -घर अख़बार देने का कार्य करते हैं।  बात बन गयी।  शिवकुमार को कार्य मिला कि दस किलोमीटर के अंदर अख़बार बाँटे।  आई -आई -एम छात्र के लिए यह एक बड़ी चुनौती , लेकिन उसने उसे स्वीकार किया।  

शिवकुमार ने किसी तरह एक साईकिल की व्यवस्था की और उसने नित्यप्रति प्रात : चार बजे से सात  बजे के बीच दस किलोमीटर के दायरे में अखबार बाँटने का कार्य पूरा किया और शिवकुमार ने कड़ी मेहनत से एक मिसाल कायम कर दी।  अनेक बहु राष्ट्रीय कम्पनियों से अच्छा वेतन देने की स्थिति में हैं ; पर वह कहता है कि साथ-साथ ही उसके जैसे छात्रों की सहायता के लिए भी कटिबद्ध रहेगा। 

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