शरीर और मन एक दूसरे पर आधारित
स्वस्स्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है ; ऐसा कहा जाता है। परन्तु यह भी सच है कि जब मन की स्थिति बिगड़ती है तो शरीर भी दुर्बल और अस्वस्थ हो जाता है। आयुर्वेदाचार्य आज के ' साइकोसोमैटिक रोगों ' के इस तथ्य को बड़े सुंदर ढ़ंग से अभिव्यक्त करते हैं __
" शरीरात जायते व्याधि: व्याधि: मानसो सो नैव संशय: 1
मानसात जायते व्याधि: शारीरो नैव संशय: 11 "
अर्थात शरीर में बीमारी पैदा होती है तो साथ ही मन में भी बिमारी पैदा होती है। इसी प्रकार मन में व्याधि पैदा होने पर शरीर में भी बिमारी पैदा होती है ; इसमें कोई संदेह नहीं है। दोनों का स्वास्थ्य एक -दूसरे पर आश्रित है अर्थात मन और शरीर एक- दूसरे पर आधारित हैं। *****
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