रविवार, 11 अगस्त 2013

निरीश की माँ पैसे के अभाव  में दुनिया छोड़ गयी और पैसे के ही अभाव में वह आई -ए -एस परीक्षा की कोचिंग भी नहीं कर पाया ; तब भी उसने घर में कड़ी मेहनत करके अध्ययन किया।  

इसी बीच जिस जगह वह काम करता था , वहाँ से भी उसे निकाल दिया गया।  निरीश पर घोर विपत्ति आ गयी।  पल भर के लिए उसका मन विचलित हो गया।  सोचा यह सब बेकार है।  पर दूसरे ही पल उसके प्रबल आत्मविश्वास ने उसे भरोसा दिलाया कि यह स्थिति भी अधिक दिन नहीं टिकेगी।  

टूटो मत और घबराओ मत ; केवल अपने लक्ष्य पर डटे रहो।  परिणाम की चिंता मत करो कि क्या होगा ? वर्तमान में जियो और अंतिम साँस तक घोर परोश्रम करो।  उसकी इसी  मेहनत एवं अटल विश्वास ने आज उसे आई -ए -एस पद पर सुशोभित कर दिया। 

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