skip to main |
skip to sidebar
परमात्मा ?
परमात्मा ?
जहाँ से मन सहित वाणी आदि इन्द्रियां उसे पाकर लौट आती हैं , उस ब्रह्मानंद को जानने वाला पुरुष
सदा निर्भय रहता है तथा उस मनोमय पुरुष की आत्मा वही परमात्मा है ; जिसका वर्णन सभी
करते हैं। _ तैत्तिरीयोपनिषद 2 /4 *****
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें