सोमवार, 9 दिसंबर 2013

ओंकार की महिमा

सत नाम ओंकार


ओंकार - जप का अपना महत्त्व है । जिस ओंकार की महिमा सारे वेद गाते हैं , तपस्वी जिसका बखान करते हैं और ब्रह्मचारी जिसके लिए घोर तपस्या करते हैं , वह शब्द केवल ॐ ही है। मुंडक -उपनिषद में --" अन्धकार से पार होने के लिए यह ओंकार का ध्यान तुम्हारे लिए कल्याणकारी हो ।


 " स्वामी रामतीर्थ के शब्दों में -- " वह सुखी है जो ओंकार में निवास करता है ,उसमें गति प्रदान करता है और अपनी सत्ता रखता है ।" गुरु नानक देव के शब्दों में -- " वह परमेश्वर जिसका सत नाम ओंकार है अथवा ओंकार ही सत नाम ईश्वर का है । वह सृष्टि - कर्त्ता तीनों कालों -- भूत , भविष्य और वर्तमान है। वह अपने आप होने वाला , भय रहित और बैर रहित है, जो अजन्मा और अमर है ; उसी का जाप गुरु - कृपा से करो । वह परमात्मा आदि में सच था , वर्तमान में भी सत है और भविष्य में भी सत ही होगा ।


 " स्वामी दयानंद की दृष्टि में -- " ओइम इस परमात्मा के नाम का अर्थ - विचार कर नित्य- प्रति जप किया करें। अपनी आत्मा को परमेश्वर की इच्छानुसार समर्पित कर दें । " अत: ओंकार का जाप , मनन तथा ध्यान करें एवं जीवन में उसकी विराटता को धारण करके जीवन सार्थक करें ' हिंदी विश्व कोष' में नगेन्द्र नाथ वसु लिखे हैं --"ॐ ही हमारे धर्म - शास्त्र की भित्ति है। जिसने ओंकार को समझने की चेष्टा की , उसी ने धर्म की कुछ बातें जान पाई हैं। " बौद्ध धर्म- शास्त्र में भी ॐ शब्द व्यवहृत हुवा है, वे 'ओं हन हुं ' का प्रयोग करते हैं । इन तीन शब्दों का चयन इनके बुद्ध , धर्म और संघ से लगाते हैं । 


encylopaedia of the hindu world में डॉ गंगा राम गर्ग के शब्दों में --"mystical or sacred syllable .aum is the shortest of mantras ; it is brief and easy to recall , it is suggestive word for god। "^^^^^^^^


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